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Our Freedom Fighter

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स्व. श्री ब्रह्मजीत त्यागी जी

स्वतंत्रता सेनानी

श्री ब्रह्मजीत त्यागी जी पुत्र स्वर्गीय श्री बंशीलाल त्यागी जी निवासी ग्राम कैथवादी जिला मेरठ इनका जन्म वर्ष को हुआ था। श्री त्यागी जी बालेकल से ही प्रतिभावान रहे राष्ट्रीय के कार्यों में बढ़-चढ़कर भागीदारी करते थे स्वतंत्रता आंदोलन में राष्ट्र प्रेम की भावना से उत्प्रोत होकर स्वतंत्रता संग्राम के समर में कूद गए और अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लेते हुए कई बार जेल गए और काफी लंबे समय तक जेल में अंग्रेजों की यातनाएं  सही। वर्ष वर्ष में श्री ब्रह्मजीत त्यागी जी का देहावसान हो गया। 

।।श्री ब्रह्मजीत त्यागी जी को शत-शत नमन।।




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स्व. श्री कृष्ण लाल त्यागी जी

स्वतंत्रता सेनानी

Late Shri Kishan Lal Tyagi took active part in India's freedom movement and went to prison several times for around 10 years.There is only one temple in the village was built by Late Shri Raj kumar Tyagi who was the eldest son of freedom fighter of Late Shri Kishan Lal Tyagi, who always had a wish to build one as there wasn't any temple in village since beginning.

OverView of Nasirpur Digauli

Nasirpur Digauli  is popularly called as Digauli. This village has some unique characteristics in terms of India`s Freedom Movement.Many of the veteran freedom fighters and  revolutionaries belonged to Digauli. There has been remarkable impact of Arya Samaj also- among the Tyagi communities of this Village.

Nearby Villages : Tajpur, Rasulpur, Sadharnsir.

Community & culture wise-its divided into two main sections i.e.  Unghla Addha( That side) & Inghla Addha (This side)

The main community belongs to Tyagi Brahmins. Late Shri Kishan Lal Tyagi took active part in India's freedom movement and went to prison several times for around 10 years.There is only one temple in the village was built by Late Shri Raj kumar Tyagi who was the eldest son of freedom fighter of Late Shri Kishan Lal Tyagi, who always had wish to build one as there wasn't any temple in villages since beginning.




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स्व. श्री गोविंद सिंह त्यागी जी

स्वतंत्रता सेनानी

श्री गोविंद सिंह त्यागी स्वतन्त्रता सैनानी का संक्षिप्त जीवन परिचय

श्री गोविंद सिंह त्यागी का जन्म 24 जुलाई 1894 को उत्तर प्रदेश के गांव अहमद शाहपुर पादड़ा जिला मेरठ में हुआ था। उनकी मृत्यु 17 फरवरी 1990 को लगभग 96 वर्ष की उम्र में हुई ।
आपके पिता का नाम श्री स्वरूप सिंह त्यागी व माता का नाम श्रीमति रामकली देवी था। आप अपने क्षेत्र के सुप्रसिद्ध पुरुष थे। बचपन से ही आप के अन्दर अंग्रेजी शासन के अत्याचारो को देखकर दिल मे राष्ट्र प्रेम उमड़ पडा। आप 1922 में कांग्रेस में शामिल हो गये, 1930 में नमक आन्दोलन में एवं 1931 में विदेशी कपड़े एवं शराब का बहिष्कार करने के आरोप में आपकी 11 मास एवं 6 मास का कारावास हुआ 1933 में भी 1 वर्ष 3 मास तक अंग्रेजों  की कैद काटी और यातनाएं सही ।
और फिर आजादी के बाद 15 वर्ष तक बिना चुनाव कराए गाँव वालों के अनुरोध पर ग्राम प्रधान बनकर गाँव की सेवा की ।
आप जैसे स्वतन्त्रता सेनानी, समाज सेवी, राष्ट्र प्रेमी एवं दानवीर पर राष्ट्र को गर्व है। भारत सरकार नेआपकी राष्ट्र भक्ति से प्रसन्न होकर 1972 में ताम्र-पत्र, प्रमाण-पत्र एवं आजन्म मासिक पेंशन देकर आपको सम्मानित किया। आपके इस महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुए भारत सरकार द्वारा आपको आजीवन बस परमिट दिया परंतु आप ने यह स्वीकार नहीं किया। उसके बाद सरकार ने एक बार फिर खेती की 15 एकड जमीन देने की पेशकश की आपने वह भी स्वीकार नहीं की
आप के बारे में एक बात गाँव के बुजुर्ग लोग बताते थे कि आजादी के आन्दोलन में जाना था और उसी दिन सुबह लगभग 3 बजे आपके 4 वर्ष के बेटे का निधन हो गया  गाँव व परिवार के लोगों ने आप से कहा बेटे का संस्कार तो करवाते जाओ तो आपने कहा मैं समझुंगा मेरा बेटा भी देश के लिए बलिदान हो गया और संस्कार के लिए तो आप सभी यहां पर हैं और आप उसी समय अपने मरे हुए बेटे का मृतक शरीर छोड़कर आजादी के आंदोलन में शामिल होने के घर से निकल गए और वहां जाते ही अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार कर लिए गए.

श्री गोविंद सिंह जी को शत-शत नमन 






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स्व. श्री ज्ञान दत्त त्यागी

स्वतंत्रता सेनानी

स्व.संग्राम सैनानी डा. ज्ञान दत्त त्यागी का जन्म कस्बा सरधना जिला मेरठ उ. प्र.  के जमींदार परिवार मे 23 सितंबर सन् 1923 को हुआ था |

उनके पिता राजस्थान मे फॉरेस्ट रेंजर थे, जिनका देहावसान महामारी के दौरान उनके जन्म से कुछ महीने पहले ही हो गया था, जिसके रहते उनका लालन पालन उनके दादा श्री बलदेव सिंह जी के सानिध्य मे हुआ |

बाल्यकाल से ही उनके स्वभाव मे देश सेवा का जज्बा था, और उसको करने के लिए भारतीय स्व. संग्राम मे भाग लेकर ही पूर्ण किया जा सकता था | 

गाँधी जी की कार्यशैली और भगत सिंह जैसा जज्बा उनके व्यक्तित्व मे पूर्णतः विद्यमान था |

जब खिलाफत आंदोलन अपनी चरम सीमा पर था, 19 वर्ष की आयु मे आगे बड़कर उन्होंने उसमें हिस्सा लिया, 

 और जब सभी आंदोलनकारी एस. डी. एम. आफिस पर प्रदर्शन कर रहे थे तो उनकी दूर संचार की व्यवस्था को ध्वस्त करने के लिए उन्होंने अपने प्राणो की परवाह ना करते हुए , उसको निष्क्रिय किया, उसी क्रम में उनको तीन महा कारावास की सजा सुनाई गई, अपनी छोटी उम्र से   ही उन्होंने संघर्षमय जीवन को अपना गहना बनाया और अपने सभी बच्चों को उच्च शिक्षा प्रदान कराई, उनके दोनों बड़े पुत्रो ने भारत सरकार मे अपनी सेवा देकर देश सेवा की और सबसे छोटे पुत्र श्री चंद्रकांत त्यागी ने इंजीनियरिंग की उच्च शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत कानून की शिक्षा लेकर सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली मे अपनी सेवा दे रहे है और साथ साथ अपने पिता के सिद्धांतों पर चल कर  राष्ट्रीय स्तर पर भ्रस्टाचार विरोधी मोर्चा का गठन किया जिसका प्रभाव और परचम भारत के विभिन्न राज्यों मे देखने को मिलता है |

त्यागी समाज मे उनका जन्म हम सभी समाज के लोगों का मनोबल बढ़ाता है और हमको सामाजिक व राजनैतिक बुराइयों से लड़ने का जज्बा प्रदान करता है |




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स्व. श्री राधेश्याम त्यागी

स्वतंत्रता सेनानी

श्री राधेश्याम त्यागी का जन्म 10 अक्टूबर 1910 को दिल्ली के गांव बुराड़ी में हुआ।

आपके पिता का नाम श्री बादाम सिंह माता का नाम श्रीमति मुश्ररी देवी था। आप अपने क्षेत्र के सुप्रसिद्ध पुरुष थे। अभी आपने कक्षा 4 ही पास की थी कि अंग्रेजी शासन के अत्याचारो को देखकर आप मे राष्ट्र प्रेम उमड़ पडा। आप 1928 में कांग्रेस में शामिल हो गये, 1930 में नमक आन्दोलन में एवं 1931 में विदेशी कपड़े एवं शराब का बहिष्कार करने के आरोप में आपकी 6 मास एवं मास का कारावास हुआ 1933 में भी 1 वर्ष तक अंग्रेजों की कैद काटी, 1935 में आपने नम्बरदारों सफेदपोशों के विरुद्ध आन्दोलन छेड़कर भूमिहीनों पर लगा टैक्स समाप्त कराया 1937 में फिर आपको बगावत के आरोप में 8 मास के लिये जेल भेज दिया गया, 1941 में आपके त्याग एवं सेवा को देखकर नरेला जिला कांग्रेस का प्रधान चुना गया, 1956 में एक बार बाढ़ के दिनों में पंडित जवाहर लाल नेहरू जी से मिलकर ग्राम वासियो की समस्या को हल करवाया, 1960 में आपको सर्कल पंच चुना- गया। 1963 से 1970 तक एवं 1977 से 1983 तक आप ग्राम बुराड़ी के प्रधान पद पर रहे। 1972 में आप दिल्ली कांग्रेस कमेटी के सदस्य बने, 1978 की भीषण बाढ़ में जनता पार्टी के अध्यक्ष श्री चन्द्रशेखर से मिलकर एक बार फिर ग्रामवासियों की बहुत मदद की। सनातन धर्म में अगाध निष्ठा के कारण अपना एक 1258 वर्ग गज का प्लाट, जिस पर कमरे, मुख्य द्वार, यज्ञशाला आदि समाज को समर्पित कर दिया है"

आप जैसे स्वतन्त्रता सेनानी, समाज सेवी, राष्ट्र प्रेमी एवं दानवीर पर राष्ट्र को गर्व है। भारत सरकार नेआपकी राष्ट्र मक्ति से प्रसन्न होकर 1972 में ताम्र-पत्र, प्रमाण-पत्र एवं आजन्म मासिक पेंशन देकर आपको सम्मानित किया।बुराड़ी के मुख्य मार्ग से लेकर बाबा कॉलोनी के मुख्य मार्ग जो बांध पर जाता हैं उसका नामकरणश्री राधेश्याम त्यागी स्वतंत्रता सैनानी मार्गदिल्ली नगर निगम द्वारा रखा गया हैं!

परामर्श दाता शर्मानन्द त्यागी और ओमदत्त त्यागी