त्यागी ब्राह्मण समाज रजि0" एक सामाजिक संगठन है, जो भारतीय समाज में एक विशेष समाज की प्रतिष्ठा, आदर्शों एवं नवाचार को बढ़ावा देता है। जैसा के विदित है कि आदर्श-पुरुष के रूप में हम प्रभु विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम जी को मानते है । शक्ति व भक्ति के प्रतीक वह पहले ब्राह्मण हैं जिन्होंने धर्म की रक्षा और अधर्म के नाश के लिए 21 बार शक्तिशाली, अधर्मी राजाओं को कंठ स्नान कराया और उनसे प्राप्त हुई भूमि ब्राह्मणों को दान में देकर स्वयं तपस्या के लिए चले गये एवं उकत भूमि को धारण करने वाले ब्राह्मण अयाचक ब्राह्मण कहलाये गए।
त्यागी" शब्द साधु या संन्यासी को संदर्भित कर सकता है। जिसका अर्थ होता है कि वह समाज से अलग हो गया है और सांसारिक आसक्तियों को त्याग दिया है। "ब्राह्मण" शब्द वार्णिक वर्ग को संदर्भित कर सकता है, जो हिंदू वर्णाश्रम व्यवस्था में प्रमुख वर्ग है। वर्ण व्यवस्था की पकड़ में ढील आने के फलस्वरूप समाज में दो अन्तरमुखर हुये। प्रथम, जाति जन्मजात माने जाने लगीऔरउसकागुण, कर्म, स्वभाव से कोई सम्बन्ध नहीं रहा, दूसरे हर व्यक्ति ने अपनी इच्छानुसार, अवसर व उपलब्धि केअनुरूप, वर्ण व्यवस्था को ताक पर रखते हुए, अपने लिये व्यवसाय चुनने आरम्भ कर दिये। जैसा के विदित है कि आदर्श-पुरुष के रूप में हम प्रभु विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम जी को मानते है । शक्ति व भक्ति के प्रतीक वह पहले ब्राह्मण हैं जिन्होंने धर्म की रक्षा और अधर्म के नाश के लिए 21 बार शक्तिशाली, अधर्मी राजाओं को कंठ स्नान कराया और उनसे प्राप्त हुई भूमि ब्राह्मणों को दान में देकर स्वयं तपस्या के लिए चले गये एवं उकत भूमि को धारण करने वाले ब्राह्मण अयाचक ब्राह्मण कहलाये गए । अतः ब्राह्मणों ने भी उक्त भूमि आधिग्रहण कर कृषि को मुख्य व्यवसाय बना लिया। सम्भवतः यह कहावत भी उसी समय की देन है: उत्तम खेती, मध्यम बान।निकृष्ट चाकरी भीख निदान। अगर हम अपने इतिहास का अवलोकन करते हैं तो हमें गर्व का अनुभव होता है।
अस्तु ब्राह्मणों में से भी एक वर्ग भूमिपति के रूप में आगे आया जिसने कृषि को अपना मूल व्यवसाय थुना। इससे जुड़े कठिन, कष्टसाध्य, जोखिम यापन के लिए उस में शारीरिक बल, कर्मठता, शौर्य, तेजस्विताव लड़ने-मिडने में निडरतापूर्वक योगदान देने जैसे गुणों का प्रादुर्भाव हुआ अर्थात्शारीरिक सौष्ठवव बल जहां बढ़ा, वही पर समया भाव के कारण ब्राह्मणोचित कर्म काण्ड से वह दूर भी हुआ। संक्षेप में कहें तो ब्राह्मण यजमान के स्थान पर आ गया। कर्म काण्ड करके दान लेना उसने त्याग दिया और वह भूमिपति के रूप में उभरा। बुद्धि जीवी से श्रमजीवी। पंजाब एवं हिमाचल में ऐसे अयाचक ब्राह्मण मोहियाल, दत्ता, छिब्बर, बालि आदि कहलाये। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में त्यागी, पूर्वी उत्तरप्रदेश, बिहार में भूमिहार (भूमिधर) कहलाये। इसी प्रकार गुजरात में देसाई, महाराष्ट्र में चितपावन, आगरा के समीप गालव कहलाये।
त्यागी ब्राह्मण समाज गैलरी: एक सामाजिक संगठन जो सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यों को समर्थन करता है।.
त्यागी ब्राह्मण समाज सूचना: एक सामाजिक संगठन जो सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यों को समर्थन करता है।.
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